नीम को आयुर्वेद में कई लाइलाज रोगों की दवा माना गया है। इसके पेड़ की जड़ से लेकर छाल, तना, निंबोली और पत्तियां सभी कुछ उपयोगी है। कई शोधों में नीम के कई चमत्कारिक गुण भी सामने आए हैं। आयुर्वेद में इसे अमृत के समान माना गया है। शास्त्रों में भी नीम को उसके अच्छे गुणों के कारण मान्यता दी गई है। त्रिवेणी भी बड़ और पीपल के साथ तभी पूरी होती है जब उसमें नीम साथ लगाई जाए।
गांव व शहरों में पुराने समय से ही त्रिवेणी रोपी जाती रही है और इसका मुख्य कारण नीम का गुणकारी होना है। ईंधन से लेकर दवाई तक में नीम का इस्तेमाल हमेशा ही होता आया है। इसे लेकर भारत सहित तमाम देशों में शोध होते रहे हैं आइए जानते हैं नीम के कुछ ऐसे ही उपयोगी गुणों के बारे में…
1. नीम एक ऐसा पेड़ है जो सबसे ज्यादा कड़वा होता है, लेकिन अपने गुणों के कारण आयुर्वेद व चिकित्सा जगत में इसका अहम स्थान है। नीम खून साफ करता है। दाद, खाज, सफेद दाग और ब्लडप्रेशर में नीम की पत्ती लेना लाभदायक होता है।
2. नीम कीड़ों को मारता है। इसलिए इसके पत्तों को कपड़ों व अनाज में रखा जाता है। मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।
3. नीम के पत्ते को पीसकर अगर दाईं आंख में सूजन है तो बाएं पैर के अंगूठे पर लेप लगाएं। सूजन अगर बांईं आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें। ऐसा करने से आंखों की लाली और सूजन ठीक हो जाती है।
4. कान में दर्द या फोड़ा फुंसी हो गई हो तो नीम या निंबोली को पीसकर उसका रस कानों में टपकाएं।यदि कान से पीप आ रहा है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर कान साफ करें, पीप आना बंद हो जाएगा।
5. सर्दी जुकाम हो गया हो तो नीम की पत्तियां शहद मिलाकर चाटें। खराश तुरंत ठीक हो जाएगी। दिल की बीमारियों में भी नीम लाभदायक है। माना जाता है कि यदि दिल के रोगी नीम के तेल का सेवन करें तो काफी फायदा होगा।
6. नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने पर चमड़ी के रोग दूर होते हैं। यह चेचक के उपचार में भी सहायक है।
7. नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में भी सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहां मलेरिया नहीं फैलता है।
8. नीम के पत्तों का लेप बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
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