विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वायिन फ्लू के विश्व्यव्यापी बन जाने के चेतावनी स्तर 5 की हामी भर ली है -खबर है कि यह महामारी अफ्रीका तक आ पहुँची है! मैंने विषाणु जनित महामारियों के एक ख़ास भौगोलिक बढ़त की प्रवृत्ति पर जब काम किया था तो पाया था कि इनमें एक खास दिशा की ओर बढ़ते जाने की एक रुझान होती है -जैसे तीन दशकों पूर्व फैली मछलियों की बीमारी ई यूं एस दक्षिण -पश्चिम भौगोलिक दिशा की ओर सिंगापुर से चलते हुए इंग्लैंड तक जा पहुँची थी! शुक्र है इसने मनुष्यों को संक्रमित नहीं किया! अब यह स्वयिन फ्लू जो बर्ड फ्लू (H5N1) की ही तरह है,बस वाईरस की रचना में थोड़ा फर्क (H1N1) है उत्तर पश्चिम से चल कर दक्षिण पूर्व की ओर बढ़ रही है ! राहत है कि भारत में अभी जोरों की गरमी पड़ रही है -आम तौर पर ये विषाणु इतने ज्यादा तापक्रम पर मारक क्षमता खो देते हैं! मगर संक्रमित देशों से चल कर जो लोग यहाँ आ रहे हैं इस बीमारी को यहाँ ला सकते हैं!
स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुखार या बढ़ा हुआ तापमान, अत्यधिक थकान, सिरदर्द, गले में खराश, ठंड लगना, नाक बहना, कफ, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी या दस्त आना, भूख कम लगना आदि।
स्वाइन फ्लू के कारण
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके साथ निकले वायरस सतह पर आ जाते हैं। ये वायरस 24 घंटे तक खुली हवा में जीवित रहते हैं, इसीलिए इनसे बहुत तेजी से संक्रमण फैलता है। इसलिए यदि इस दौरान कोई इनके संपर्क में आता है, तो वह इस वायरस से संक्रमित हो सकता है।
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सावधानियां
भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। यदि मजबूरीवश जाना भी पड़े, तो नाक और मुंह को रूमाल से ढंक कर रखें। खासकर बच्चों को ऐसी जगहों पर बिलकुल मत ले जाएं। क्योंकि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र बेहद कमजोर होता है और वे संक्रमण की चमेट में जल्दी आते हैं।
यदि संभव हो सके, तो स्वाइ फ्लू से बचाव के लिए टीका अवश्य लगवाएं। क्योंकि इससे बचाव का यह सर्वोत्तम तरीका है।
भले ही यह अव्यवहारिक लग सकता है, पर जहां तक सम्भव हो लोगों से हाथ मिलाने से बचें। साथ ही अपने हाथों को बार-बार नाक और मुंह के पास मत ले जाएं।
यदि आप सार्वजनिक वस्तुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं, तो दिन में कई बार और विशेषकर कुछ भी खाते समय साबुन से अपने हाथ अवश्य धोएं। इसके लिए एंटीबैक्टीरियल सोप का ही प्रयोग करें और आराम से 20 सेकेंड तक हाथ धोएं। ज्यादा अच्छा यह है कि आप अपने कार्यालय में भी एक एंटीबैक्टीरियल साबुन अवश्य रखें।
यदि कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उससे लगभग 6 फिट की दूरी बनाए रखें। खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल अवश्य रखें।
यदि आपके घर में किसी को भी सर्दी, जुकाम हो, तो उसे आराम करने को कहें, इससे बीमारी जल्दी ठीक होगी और वह फ्लू के संक्रमण की चपेट में आने से भी बचा रहेगा।
यदि आपको गले में खराश जैसी महसूस हो, तो दिन में दो-तीन बार गरम पानी में नमक डाल कर गरारा अवश्य करें। यह तरीका फ्लू के संक्रमण से बचाने में भी काफी हद तक मददगार है।
खान-पान द्वारा संक्रमण से बचाव:
जिन लोगों के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, वे किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में जल्दी नहीं आते हैं। इसलिए अपने आहार में खट्टे पदार्थों जैसे नीबू, संतरा तथा आंवले की मात्रा बढ़ा दें। आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन सी गोली भी जिंक के साथ ले सकते हैं। साथ ही सुबह और शाम की चाय में तुलसी, अदरक और कालीमिर्च का भी प्रयोग करें। इससे भी प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं, तो उन्हें दूध में एक चम्मच हल्दी और शहद मिलाकर दें। इससे उन्हें विशेष लाभ होगा और वे जल्दी बीमार नहीं पड़ेंगे।
स्वाइन फ्लू का उपचार
उपरोक्त लक्षणों के दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। इसके उपचार के लिए 'टेमीफ्लू' का उपयोग किया जाता है, किन्तु इसे अपनी मर्जी से न लें। उल्टी, दस्त या पेट में दर्द होने पर तरल पदार्थों का सेवन करें। ध्यान रखें, किसी भी दशा में घर पर इलाज करने का जोखिम न लें, क्योंकि इससे मरीज की हालत बिगड़ सकती है।
डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. एस.के. पांडेय के अनुसार गिलोय और अभ्रक की भस्म को शदह में मिलाकर पांच से सात दिन तक लेने से शरीर में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता आ जाती है। इसके अलावा संक्रमित मरीज को यदि सीतोपलाद चूर्ण और मुलेठी को शहद में मिलाकर दिया जाए, तो फेफडे की कमजोरी व गले का संक्रमण में लाभ होता है तथा स्वाइन फ्लू में भी फायदा होता है।
होम्योपैथी में स्वाइन फ्लू के लिए 'फ्लू एण्ड फीवर' दवा काफी प्रचलित है। यह एक पेटेंटेड दवा है, जो साधारण फ्लू अथवा बुखार की दशा में भी डॉक्टर की सलाह पर ली जा सकती है।
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